Anju Dixit

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हकीकत या ख़्वाब हो तुम

हकीकत से जो प्यारा
मेरा वो ख़्वाब हो तुम,
किसी मे नही पाया,
सबसे जुदा अंदाज हो तुम।

  मुद्दतों के बाद भी मुश्क,
है तरोताजा जिसकी,
मेरे मन के उपवन का,
वो गुलाब हो तुम।

जमाने भर की सफाई देने की,
जरूरत क्या थी साहब,
प्यार से  चेहरा हाथों में लेकर,
पूछ लेते क्यों नाराज हो तुम।

जिसे पाकर मैं खुदको भूल बैठी,
बिन सावन मै झूले झूल बैठी,
जिसे पाकर पतझङ हो गए गुलजार,
मेरी जिंदगी की वो बहार हो तुम।

सच बताना तुम मेरे दिल की ,
अनकही तुम्हारे दिल तक आतीहैं,
मेरे मौन सम्वादों की,
बुलन्द आवाज हो तुम।

नाम कर ली मेरी ख्वाहिशें उसने,
मेरी सासों में बसा दी आहटें उसने,
  रह गया नाम के हम बस, गए  हर जगह तुम,
कैद करके रूह को वो बोले जाओ आजाद हो तुम।

  मुद्दतों जिनसे मिलने के लिए सजदे किए,
मैने हर मन्दिर मस्जिद में नंगे पांव
नजदीक आके बोले सरीकेहयात से मिलाके
यह आज है मेरा  गुजरी हुई याद हो तुम।

मेरी मोहब्बत में आज भी है  वही  लर्जे बफा,
मुझे आज भी याद है तेरा हर वादा वो हर लम्हां,
मैं आज भी मुस्कुराती तेरी खुशियों में,
पा लेती सुकून यह सोचकर कि आवाद हो तुम।

अफसोस है बस यही मेरे दिल को,
आज भी उसे मेरे दर्दे गम पढ़ने नही आए,
  होंठो पर बिखरी फरेबी तबस्सुम देखकर बोले,
आज भी पहले सी  खुश मिजाज हो तुम।

तू बढ़ गया आगे दुनिया की राहों पर,
हमारी दुनिया आज भी बसी है उन्ही चौराहों पर,
दिल का शोर जप्त है दिल के तहखानों तक,
जो चाहकर भी न बयान कर पाए वो अल्फाज हो तुम।
 
अन्जू दीक्षित,
उत्तर प्रदेश।


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3 Comments

Niraj Pandey

27-Aug-2021 05:23 AM

बहुत खूब

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Seema Priyadarshini sahay

26-Aug-2021 06:08 PM

वाह

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Swati chourasia

26-Aug-2021 10:30 AM

Very beautiful

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